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नम्बर 57 स्क्वाड्रन

स्वदेश दीपक

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16952
आईएसबीएन :9789357756051

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नम्बर 57 स्क्वाड्रन का एक वैमानिक कल के युद्ध में काम आया था। स्क्वाड्रन लीडर परमार थोड़ा बोलता है और संक्षिप्त लिखता है। उसकी रिपोर्ट थी-“कल अपने लक्ष्य को ध्वस्त करने के बाद हम अपनी सीमा में प्रवेश कर चुके थे। फ्लाइंग अफसर सैनी का विमान सबसे पीछे था। अचानक आकाश की ऊँचाई से शत्रु के स्टार फाइटर ने डाइव किया और सैनी के विमान पर गोलियाँ चला दीं। विमान को जलता हुआ देखा गया। कम-से-कम दिन के समय तो हमारे लड़ाकू विमानों को सू-7 की सहायता देनी और रक्षा करनी चाहिए।”

विंग कमांडर धावन अन्तिम वाक्य को देख रहे हैं। परमार अपनी बात को स्पष्ट कर रहा है- “सर, फाइटर पायलेट लगता है, बस ग्लोरी और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए बने हैं। हम जो शत्रु की सीमा के इतना अन्दर जाते हैं, बम-वर्षक विमान जितना ख़तरा उठाते हैं, उसकी कल्पना भी आम लोग नहीं कर सकते। मैं सोचता हूँ, अगर वे अपनी बीवियों की गोद में न घुसे रहें, हमें आकाश में रक्षा दें तो सैनी न मरता।”

विंग कमांडर चुप है। वह जानता है कि परमार इस समय गुस्से में है। निरोधक विमानों के लिए यह कहाँ सम्भव है कि वह बम-वर्षक और लड़ाकू विमानों को हर समय और हर स्थान पर ख़बर दें। परन्तु जब अपने साथी की मृत्यु हो जाये तो कार्य-कारण के सन्दर्भ में सोचना कठिन हो जाता है।

पिछले दिन में स्क्वाड्रन के विमान शत्रु के क्षेत्र में बीस बार आक्रमण कर चुके हैं। दो विमान नष्ट हैं, सिंह घायल है और सैनी-हाँ, सैनी के घर पत्र भी लिखना है, विंग कमांडर सोचता है।

शाम के पाँच बज चुके हैं। स्क्वाड्रन के वैमानिक ब्रीफिंग-रूम में एकत्र हैं। सामने दीवार पर शत्रु क्षेत्र का नक़्शा लगा है। आज ग्रुप कैप्टन भी वहाँ है। विंग कमांडर धावन एक छड़ी के इशारे से नक़्शे पर सबको समझा रहा है- “आज हमें मसरूर पर आक्रमण करना है। वहाँ पर शत्रु का बहुत बड़ा पेट्रोल डिपो है। टोही-विमानों की सूचना के अनुसार वहाँ पर विमान-भेदी तोपों का बहुत बड़ा जमाव है। पहले स्क्वाड्रन के चार विमान आक्रमण करेंगे। यदि आक्रमण पूरी तरह सफल न हुआ तो 15 मिनट के बाद दूसरे चार विमान जायेंगे। पहले आक्रमण में मैं, परमार, शर्मा और गांगुली जा रहे हैं। कोई प्रश्न ?”

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